सिद्धभैरव साधना
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शिव महापुराण में भैरवजी को परमात्मा शंकर का पूर्णरूप बताते हुए लिखा गया है -
भैरव: पूर्णरूपो हि शंकरस्य परात्मन:।
मूढास्ते वै न जानन्ति मोहिता: शिवमायया।।
पुराणों में भैरव उल्लेख :
-तंत्रशास्त्र में अष्ट भैरव का उल्लेख मिलता है - असितांग भैरव, रुद्र भैरव, चंद्र भैरव, क्रोध भैरव, उन्मत भैरव, कपाली भैरव, भीषण भैरव तथा संहार भैरव .
मै आपको एक प्रामानिक साधना दे रहा हू जिसका प्रभाव तिश्ण है और जब भी मै यह साधना करता हू मुझे पूर्ण अनुकूल परिणाम प्राप्त होते है.
इस साधना से फसा हुआ धन वापस मिलता है,जिनके पास नौकरी ना हो उन्हे नौकरी भी मिलता है,धन के सभी परेशानिया भी समाप्त होता है,रुठी पती/पत्नी मे सामजस्य होता है और कुछ दिनो मे सुलाह हो जाता है,जो तंत्र बाधा से परेशान हो उनके लिये यह साधना संजिवनी है.मै यहा सिर्फ इतना ही कहुगा "मैने इस साधना से वही पाया जो मुझे चाहिये था",अब इससे ज्यादा मै क्या लिखू.
येसा कोई भी समस्या नही है जो इस साधना से समाप्त नही हो सकता,जिसने ये साधना संकल्प के साथ कर लिया समझो उसने विजय प्राप्त हो गया.यह साधना अष्टभैरव साधना माना जाता है और इसेही सिद्धभैरव साधना भी कहेते है.
साधना विधि:-
साधना अष्टमी से शुरू करना है और इस माह मे बुधाअष्टमी 25 तारिख को है जो इस साधना को प्रारंभ करने हेतु उत्तम मुहूर्त है,साधना 9 दिन का है और आखरी दिन होली का रात्री है जो अपने आप मे तंत्र सिद्धी के लिये सबसे बडा दिन है.काले वस्त्र और काले आसन का व्यवस्था पहिलेसे ही करके रख दे,दिशा दक्षिण होगी,माला काली हकिक या रुद्राक्ष का उपयुक्त है.
साधना मे ध्यान,विनियोग और मंत्र आपको आपके ई-मेल आईडी पर 22/02/2015 तक रात्री मे भेजा जायेगा.
जिनको साधना करना है वही साधक अपनी ई-मेल आईडी कमेंट मे दे,साधना का उपयोग सही कार्य के लिये करे अन्यथा आपके हानी के जिम्मेदार आप स्वयम होगे.
आदेश.